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सेनापति / सरोज कुमार

आईने के सामने बैठते ही
चिड़िया
अपने प्रतिबिम्ब को
चोंच मारने लगी!

उसे बताया
कि वो तू ही है
दूसरी नहीं
तेरी चोंच टूट जाएगी
फिर तू कैसे खाएगी
कैसे चचहाएगी!

बोली, मैं नहीं
वो मुझे मार रही है
पहली चोंच उसने ही मारी थी,
मैं तो केवल
जवाब दे रही हूँ!

मैंने समझाया :
जवाबी चोंच मत मार
लड़ाई
अपने आप रुक जाएगी!
बोली :
ये बात किसी सेनापति से
कहला दे,
तो जानूँ!
तू तो कवि है
लड़ाई के मामले में
तेरी बात
क्यों मानूँ?