हरा-हरा-सा
गाढ़ा-गाढ़ा
ठंड़ा-ठंड़ा
खारा-खारा
मक्खन का रेला।
निकल आता
पिटारे से बाहर
सर्दी का
ताजा-ताजा
झौल-झमेला।
“सुडुर-सुडुर”
है पूंगी बजती
थोडा सा चख लेता
फिर अंदर
सटका देता गेला।
हरा-हरा-सा
गाढ़ा-गाढ़ा
ठंड़ा-ठंड़ा
खारा-खारा
मक्खन का रेला।