Last modified on 23 जून 2017, at 10:13

सेवा / अशोक शुभदर्शी

ऊ सूर्य छेकै
वें ठीके करलकै
आलोचना नै करलकै
अंधेरा के
अपनोॅ घरोॅ में बैठी केॅ
बलुक
ऊ प्रवेश करी गेलै
ओकरोॅ जिंदगी में ही
आरो
अंधेरा के
कायाकल्प होय गेलै।