सेहत दिवस सात अप्रैल का हम हर साल मनावैं रै॥
ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावै रै॥
1
कुदरत साथ संघर्ष म्हारा बहोत पुराणा कहते रै
यो तनाव जब घणा होवै कहैं बीमार घणे रहते रै
बिना कुदरत नै समझैं माणस दुख हजारां सहते रै
इसतै मेल मिलाप होज्या तै सुख के झरने बहते रै
जिब दोहण करैं कुढ़ाला तो उड़ै रोगै पैर जमावैं रै॥
2
सिन्धु घाटी की जनता नै सेहत के नियम बनाये थे
चौड़ी गाल ढकी नाली ये घर हवादार चिनाये थे
पीवण खातर बणा बावड़ी न्यारे जोहड़ खुदवाये थे
जितनी समझ थी उनकी रल मिल पूरे ज़ोर लगाये थे
जिब पैदावार के ढंग बदलैं बीमारी बी पल्टा खावैं रै॥
3
माणस मैं लालच बधग्या, कुदरत से खिलवाड़ किया
, बिना सोचें समझें कुदरत का सन्तुलन बिगाड़ दिया
लालची नै बिना काम करें बिठा ऐश का जुगाड़ लिया
माणस माणस मैं भेद होग्या रिवाज़ न्यारा लिकाड़ लिया
समाज के अमीर गरीब मैं क्यों न्यारी बीमारी पावै रै॥
4
साफ पाणी खाणा और हवा रोक सकैं अस्सी बीमारी
ना इनका सही बंटवारा सै मनै टोहली दुनिया सारी
जिस धोरै ये चीज थोड़ी सैं उड़ै होवै बीमारी भारी
होयाँ पाछै इलाज़ सै म्हंगा न्यू माणस की श्यामत आरी
रणबीर सिंह नै छन्द बनाया मिलकै सारे गावैं रै॥