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सैनिक / रंजना सिंह ‘अंगवाणी बीहट’

भारत भाल सजा कर सैनिक,
प्राण गँवा कर लाज बचाए।

वीर रक्षा कर तू क्षिति का,
जननी उर गौरवगान बढ़ाए।

धन्य धरा यशगान सुशोभित,
मात-पिता जग नाम कराए।

मार गिरा शत्रु को धरनी पर,
आप महा शत्रु हंत कहाए।

देश लिए मरते जब सैनिक,
क्रोधित माँ उर शांत कहाँ है।

दर्द भरा दिल लेकर पगली ,
देखत आँगन-द्वार यहाँ है।

रोदन करती घरनी विलखे,
बालक का अब सून जहाँ है।

गर्वित होकर आज कहूँ हम,
सैनिक दे कर जान वहाँ है।