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सैरन्घ्री क़द का / निहालचंद

सैरन्घ्री क़द का, बाट देखर्या तेरी ॥टेक॥
गया था बहण के धोरै, सादे सुभा मिलण की खातिर ।
एक तरफ़ नै बैठी पाई, देखी नार अकल की चातर ।
मुस्कुरा कै पर्दा कर, लिया, दिल चुरा इन्द्र की पातर ।
चावलाँ केसी चिमकै बत्तीसी कपोल गोल रुखसार ।
सुआ मृग मोर और चीता सर्प करते प्यार ।
मर्या ना जीया यो बन्दा, मार दी कसूती मार ।
फूंकण नै माशूक, इश्क़ रूपी बारूद बखेरी ।1।

मासिक धर्म कर्म शुद्धि, स्नान ध्यान हूर करै ।
सुहाग भाग की टीकी रोली, माँग मैं सिन्दूर करै ।
बात ये ख़ुलासा आशा, पति की ज़रूर करै ।
समय के अनुकूल तेरे, लाड़ चाव करूँ प्यार ।
भौंरा ले ख़ुशबोई फूल, बाग़ मैं आई बहार ।
ढळैगी जवानी फेर, आवै नहीं बार-बार ।
चार दिनाँ की चटक चान्दणी, फेर हो रात अन्धेरी ।2।

कमरे कोठी हेल्ली बंगले, सत्त मंजिले महल प्यारी ।
उठण बैठण और लोटण नै, रूई के पहल प्यारी ।
ला द्यूँगा सौ-सौ बान्दी, तेरी करैंगी टहल प्यारी ।
कोई ना फ़रीक म्हारे, बीच मैं अटकावै रोड़ा ।
जी चाहवै जो खाइये पीये, नहीं म्हारै किसे चीज का तोड़ा ।
बेहमाता नै जूड़ी बळदी, राम नै मिलाया जोड़ा ।
राजा रैयत अगड़-पड़ोसी, सब झोक मानते मेरी ।3।

जितनी हैं जायदाद मेरी, सब तेरे अख्तियार करूँ ।
सौंप द्यूँगा ताळी कुंजी, महलों की मुख्तियार करूँ ।
दम-दम पै सौ-सौ बै तेरा, धन्यवाद बख्तियार करूँ ।
राखूँ अपणी गेल हरदम, पल भर भी करूँ ना न्यारी ।
सच्चे मन से अज्म कर लिया, राखूँगा तनै जी तै प्यारी ।
निहालचन्द मति मन्द, कहै तेरे गुण की सारी ।
सब दुख जागी भूल देखिये, याराँ की हथफेरी ।4।