सोईं अँखियाँ:
तुम्हें खोजकर बाहर,
हारीं सखियाँ।
तिमिरवरण हुईं इसलिये
पलकों के द्वार दे दिये
अन्तर में अकपट
हैं बाहर पखियाँ।
प्रार्थना, प्रभाती जैसी,
खुलें तुम्हारे लिये वैसी,
भरें सरस दर्शन से
ये कमरखियाँ।
सोईं अँखियाँ:
तुम्हें खोजकर बाहर,
हारीं सखियाँ।
तिमिरवरण हुईं इसलिये
पलकों के द्वार दे दिये
अन्तर में अकपट
हैं बाहर पखियाँ।
प्रार्थना, प्रभाती जैसी,
खुलें तुम्हारे लिये वैसी,
भरें सरस दर्शन से
ये कमरखियाँ।