रमणी मणी-सी चली अलि की अनी समेत ,
पाँव में लगे हैं जनु जावक उमंग के ।
उड़-उड़, मुड़-मुड़ झाँकती-सी जाती खिली,
सुख की डली-सी, सुर मदन - मृदंग के ।
मंजुल उरोज ज्यों सरोज सुषमा के द्वय,
अथवा मनोज के सुलेख हैं प्रसंग के ।
किंवा किलोल करें चपल हरेक पल ,
कंचुक सुनीड़ में सुशावक विहंग के ।