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सौदा / अंजनी कुमार शर्मा

लोग, आवेदनोॅ सें तबाह छै
छै बेरोजगारी सें परेशान,
यही लेॅ लोगें घरे-घर
खोलनें छै दुकान।

देखी-सुनी के खरीदै छै,
चीजोॅ नांखि लड़का-लड़की,
लेकिन ग्राहक आरो दुकानदार
दोनों के होय जाय छै कड़की।

दहेजोॅ में मिललोॅ पैसा
उड़ी जाय छै फुर सें,
पछताबै छै बाप-माय बादोॅ में
आपनोॅ ही लूर सें।

बाल विवाह आरो बेमेल विवाह सें
आरु बढै़ छै बेरोजगारी,
आबादी बढ़ै दै, रुकी जाय छै
गृहस्थी के गाड़ी।

दहेज प्रथा तेॅ कलंक छिकै
कोढ़ छिकै सामाजोॅ के,
सबक सिखाना दै यही लेॅ
नोंचै वाला बाजोॅ केॅ।