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स्कूल में गोलीबारी / दिनकर कुमार

वीडियो-गेम की काल्पनिक दुनिया में
वे रचते थे असली नज़र आने वाले किरदारों को
माउस की क्लिक के सहारे वे नष्ट करते थे
अपने ही किरदारों को
उन्हें ख़ून बहते हुए देखकर
तनिक भी डर नहीं लगता था

डर उन्हें लगता था अन्धेरे से
अकेलेपन से रिश्तों के खोखलेपन से
माता-पिता के असम्भव सपनों पर सवार होकर
वे जिस सफ़र पर निकले थे
वह सफ़र किसी मंज़िल पर नहीं पहुँचता था

पैसे के क्रूर परिवेश ने पैदा होने के बाद ही
घुन की तरह नष्ट करना शुरू कर दिया था
उनके भीतर की सम्वेशदनशीलता को
उन्होंने प्रतिशोध का पाठ सीखा था
परिवार से समाज से देश और दुनिया से
इसीलिए उन्होंने वीडियो-गेम की काल्पनिक दुनिया की तरह
असली जीवन में भी जब अपने ही सहपाठी को
गोली मारी तो वे तनिक भी डरे नहीं ।