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स्टेटस / विनोद विट्ठल

जिन दिनों स्टेटस नहीं थे
प्रेम के दिनों में लड़कियाँ बदल जाती थीं किन्नौरी सेव में
दुःख के दिनों में लगा देती थीं अलीगढ़ी ताला

इन्तज़ार हमेशा करतीं बनारसी साड़ी पहन

पहाड़ों में चलते चश्मों की तरह
उनके स्टेटस उनके साथ बहते रहते थे, चुपचाप, बेआवाज़

OLX वालों को कहाँ पता है
जब वो नहीं था
इसी तरह बहती रहती थी चीज़ें
वसन्त विहार से कबीर बस्ती, डी०एल०एफ़० से देरासर !