पुरूष ने स्त्री पर कविता लिखी
उसकी आजादी के गीत गाये
तरक्की के राह बताये
मुक्ति के स्वप्न दिखाये
स्त्री प्रसन्न हुई
प्रसन्नता में उड़ने लगी
उड़ते उड़ते जिस पर गिरी
पुरूष के द्वारा
बिछाया हुआ बिस्तर था !
पुरूष ने स्त्री पर कविता लिखी
उसकी आजादी के गीत गाये
तरक्की के राह बताये
मुक्ति के स्वप्न दिखाये
स्त्री प्रसन्न हुई
प्रसन्नता में उड़ने लगी
उड़ते उड़ते जिस पर गिरी
पुरूष के द्वारा
बिछाया हुआ बिस्तर था !