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स्त्री-1 / जया जादवानी

तहखानों में तहखाने
सुरंगों में सुरंगें
ये देह भी अजब ताबूत है
ढूंढ़ लेती हूँ जब ऊपर आने के रास्ते
ये फिर वापस खींच लेती है