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स्त्री / ककबा करैए प्रेम / निशाकर



संसारक एकटा अजगुत जीव होइत अछि-
स्त्री
धरती जकाँ
धारण कयने रहैत अछि धैर्य।

स्त्री एकटा गाम
एकटा घर
कोठली
आँगन
पलंग
ओछाओन
नुआ
आ एकटा अनचिन्हार पुरुष केर संग
खेपि दैत अछि
पहाड़-सन जिनगी।