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स्त्री का बुदबुदाना / राजेश कमल

अगर ईश्वर जैसा कोई सहकार है
तो उसे ही मालूम होगा
क्या कहा तुमने

अगर नहीं है
तो कहावतों में भी नहीं कहा जा सकता
कि ईश्वर ही जानता होगा

बेवजह घंटो से सोच रहा हूँ
क्या बुदबुदाया तुमने