जहाँ सर्दी नहीं छोड़ती अपना वर्चस्व,
वहाँ सिर्फ़ कुछ पलों के लिए हो
धूप का आगमन,
तुम्हें मालूम था कि यह पर्याप्त नहीं होगा।
तुम्हें तो मालूम था ठण्ड का स्वभाव
उसका कठोर आलिंगन
आकर न जाने का उसका हठ
सब पता था तुम्हें और इसीलिए
तुम मेरे लिए बर्फ़ ले आई।
अन्ततः, हम सब को होना होता है क़ुर्बान।
इसी बर्फ़ पर खौलती रही मैं,
पिघली, बही
रक्तरंजित हुई।
इस बार तुमने बिसरा दीं
सभी राजकुमारियों की आँखें।
मूल स्पानी भाषा से पूजा अनिल द्वारा अनुदित