तुमने भी देखा न
नीली जमीन पर सफेद फूलों-सा छाया आसमान,
कभी सँवलाया-बदराया आसमान,
डूबते सूरज की लाली में रँगा
और कभी भरी दोपहरी
बेतरह तमतमाया आसमान,
देर तक ठहर कर हवा में हाथ हिलाता
धब्बेदार आसमान - तुमने भी देखा न?
इतने रंग बदलता है आसमान - हम तो फिर इंसान हैं!