नीले जल में रोशनियां तैरती हैं
भीतर तक गहरे कांपती जड़ें
रात को झील
सिहरते हुए एहसास की तरह चमकती है
हवा का कोई हल्का झोंका
सतह को सहलाता हुआ उड़ता है
स्मृति छवियों के असंख्य
फूलों से झिलमिल
दमक उठती है झील
(1990)
नीले जल में रोशनियां तैरती हैं
भीतर तक गहरे कांपती जड़ें
रात को झील
सिहरते हुए एहसास की तरह चमकती है
हवा का कोई हल्का झोंका
सतह को सहलाता हुआ उड़ता है
स्मृति छवियों के असंख्य
फूलों से झिलमिल
दमक उठती है झील
(1990)