स्याम-स्यामा सुषमाके सागर।
कोटि काम-रति मोहन सोहन नव-नागरि नट-नागर॥
कल कमनीय किसोर-बयस दोउ स्याम-गौर सुख-आगर।
मधुर-मधुर मुसुकात परसपर निरखत छबि नित जागर॥
स्याम-स्यामा सुषमाके सागर।
कोटि काम-रति मोहन सोहन नव-नागरि नट-नागर॥
कल कमनीय किसोर-बयस दोउ स्याम-गौर सुख-आगर।
मधुर-मधुर मुसुकात परसपर निरखत छबि नित जागर॥