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स्याम मोरी बांहड़ली जी गहो / मीराबाई

राग बिहाग

स्याम मोरी बांहड़ली जी गहो।
या भवसागर मंझधार में थे ही निभावण हो॥
म्हाने औगण घणा रहै प्रभुजी थे ही सहो तो सहो।
मीरा के प्रभु हरि अबिनासी लाज बिरद की बहो॥


शब्दार्थ :- थे =तुम। घणा छै = बहुत है। बहो = वहन करो, रखो।