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स्ये जा / नरेन्द्र कठैत

हे वीं घिंडुड़ि़
हे वे घिंडा
रुम्क प्वड़गि
अब नि च्वीं च्या
तौं छुयूंन तुमारि
कबि खतम नि होण
यिं बात तुम
लेखी ले ल्या
देखा दिनभर छौ
स्यू उल्लू उंघणू
अब स्यू तुमारि
दोब मा बैठ ग्या
अरे तुम छयां
दिनभरा थक्यां पित्यां
टप टोप मारी
निंद गाड़ा अर स्ये जा
हमारु फर्ज च
तुम तैं चिताळु कनू
बक्कि तुमारि मर्जि
जथगा चा च्वीं च्ये ल्या ।