मैं शर्मिन्दा हूँ अपने शब्दों के लिए
जिन्हें आप पढ़ रहे हैं
-यह जानते हुए भी कि ये मेरे है
और आप पढ़ रहे हैं
जैसे कि मैंने इन्हें लिखा था
कभी गोया
ताकि बची रहे सारी साँसें
जीने में
कोई जग जाय
और शर्मिंन्दा न हो
दरअसल
यह स्वप्न है