स्वयंभू कोसल के निवासी जैन थे। उन्हें राष्ट्रकूट राजा ध्रुव (780-794 ई.) के उत्तर भारत पर आक्रमण के समय उसका अमात्य रयडा अपने साथ मान्यखेट (बरार) ले गया। उसके आश्रय में स्वयंभू ने 'पउम चरिय (पद्म चरित) और 'हरिवंश पुराण नामक महाकाव्यों की रचना की, जिन्हें उनके पुत्र ने पूरा किया। पद्म चरित में राम कथा है और हरिवंश पुराण में महाभारत और कृष्ण की कथा है। स्वयंभू अपभ्रंश के समर्थ कवि हैं। अपभ्रंश की ही कोख से हिंदी भाषा का जन्म हुआ। स्वयंभू भावुक हृदय हैं, उनके लिखे अंश काव्य की दृष्टि से उत्कृष्ट हैं।