पिछली रात मैंने सपना देखा कि मेरे पिता ने फोन किया हमें. 
वे फंसे हुए थे कहीं. हमें   
बहुत देर लगी तैयार होने में, मुझे नहीं पता क्यों.  
कंपकंपाती बर्फीली रात थी; सड़कें थीं लम्बी और काली.  
आखिरकार पहुँच गए हम छोटे से कस्बे बेलिंगहम में.  
वे खड़े थे बिजली के एक खम्भे के पास सर्द हवाओं के बीच,  
बर्फ उड़ रही थी फुटपाथ से लगकर.  
मैंने गौर किया वे पहने हुए थे असमतल किस्म के पुरुषों के जूते. 
लगभग चालीस की उम्र के, ओवरकोट पहने हुए वे पी रहे थे सिगरेट.  
हमें इतनी देर क्यों लगी निकलने में? शायद 
वे कभी छोड़ गए थे हमें कहीं, या मैं ही बस भूल गया था 
कि वे सर्दियों में अकेले थे किसी कस्बे में ?
अनुवाद : मनोज पटेल