हम करते हैं स्वागत दीपमालिके तेरा,
तू करती है धन वैभव की सुखद सवेरा।
अमावस का निविड़ अँधेरा करती हो तुम दूर
मानव मनी की सभी आशाएँ हो जाती हैं पूर्ण।
दीपक का कर दो सर्वस्व पावन डेरा,
हम करते हैं स्वागत दीपमालिके तेरा।
काली, कालिमा नाश कर भर दो निर्मल दीप आनन्द,
विपदाएँ टल जाएँ सारी सुखमय बने दिगंत।
ना बने मानव दानव का इस जग में कहीं डेरा,
हम करते हैं स्वागत दीपमालिके तेरा।
अमर स्वतन्त्रता ही दे कि दीपावली से सुख पाएँ,
दीप जलाएँ दीन दुखी सब, बाल वृद्ध हर्षाएँ।
खुशियाँ डालें घर-घर में दीपक का अखंड बसेरा,
हम करते हैं स्वागत दीपमालिके तेरा।