Last modified on 3 दिसम्बर 2013, at 17:46

स्वामिनी हे बृषभानु-दुलारि / हनुमानप्रसाद पोद्दार

स्वामिनी हे बृषभानु-दुलारि!
कृष्णप्रिया, कृष्णगतप्राणा, कृष्णा, कीर्तिकुमारि॥
नित्य निकुंजेस्वरि, रासेस्वरि, रसमयि, रस-‌आधार।
परम रसिक रसराजाकर्षिनि, उज्ज्वल-रस की धार॥
हरिप्रिया, अहलादिनि, हरि-लीला-जीवन की मूल।
मोहि बनाय राखु निसि-दिन निज पावन पद की धूल॥