अकेलापन नियति है,
हर्ष से
झेलो इसे !
अकेलापन प्रकृति है,
कामना-अनुभूति से
ले लो इसे !
इससे भागना-बचना —
विकृति है !
मात्र अंगीकार करना —
एक गति है !
इसलिए स्वेच्छा वरण,
मन से नमन !
अकेलापन नियति है,
हर्ष से
झेलो इसे !
अकेलापन प्रकृति है,
कामना-अनुभूति से
ले लो इसे !
इससे भागना-बचना —
विकृति है !
मात्र अंगीकार करना —
एक गति है !
इसलिए स्वेच्छा वरण,
मन से नमन !