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स्व के छन्द में / दिनेश जुगरान

गुरुजी को

कुछ होने को नहीं है
न है कुछ खोने को
कहीं कोई और जगह नहीं है
कहीं पहुँचना नहीं है
मंजिल कहीं नहीं है
तुम जहाँ हो, जैसे हो
बस वहीं हो जाओ स्थित
स्व के छन्द में हो जाओ लीन
जाग जाएगा तुम्हारा मौन
कर देगा शांत
बरसेगी तृप्ति

किसी तरकीब की ज़रूरत नहीं
न कोई योजना
न तैयारी
न लगाओ अर्थ,
न करो व्याख्या
हटा लो बस अपने को
आ जाओ अचुनाव की स्थिति में
बहने दो संगीत प्रकृति का

कठिन सी बैसाखी पर
चलता है अहंकार
सरल के साथ उसकी कोई गति नहीं है
छोड़ दो अपना अस्वीकार भाव
जगेगा तुम्हारा मौन
हो जाओगे शांत
बरसेगा संगीत