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हँसती बहुत है / स्वरांगी साने

उससे पूछा जाता है
‘कैसी हो’
वह ठीक-ठीक जवाब नहीं दे पाती।
सोच में पड़ जाती है
लगता है सच कह दे
फिर सोचती है
इस प्रश्न का कोई मानक उत्तर ही दे दे।

वह सच बताना चाहती है
कि तभी
दूसरा सवाल दाग़ दिया जाता है
फिर तीसरा, चौथा
उसके पास
किसी सवाल का कोई तयशुदा जवाब नहीं होता
वह हँस देती है।
पूछते हैं उससे -इसमें हँसने की क्या बात!
हाँ, हँसने वाली
कोई बात नहीं होती
दरअसल वह रोना चाहती है।

हालाँकि
जब-जब
वह रोना चाहती है
हँस देती है
और सब कहते हैं
वह हँसती बहुत है।