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हँसी / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

रँगीली तितली पर, जिसको।
रंग दिखलाना भाता है।
घूमने वाले भौंरों पर।
भाँवरे जो भर जाता है।1।

चिटख जाते दिखलाते हो।
या कि आवाज कसते हो।
सको बतला तो बतला दो।
फूल तुम किस पर हँसते हो।2।