जब कहीं न था मैं
उसके शरीर में धोखे के चिह्न कहीं न थे
वे हँसी में थे
जो मैं हँस रहा था
उसके दिल से
अपने तक आते
काट कर फेंक दिया
हँसी में धोखे के
दिल
तब कहीं न था मैं
जब कहीं न था मैं
उसके शरीर में धोखे के चिह्न कहीं न थे
वे हँसी में थे
जो मैं हँस रहा था
उसके दिल से
अपने तक आते
काट कर फेंक दिया
हँसी में धोखे के
दिल
तब कहीं न था मैं