Last modified on 11 दिसम्बर 2012, at 18:13

हड़ताल / पूजानन्द नेमा

आज़ादी के मुखौटे से
झाँक रही है
आज मोनोक्रेसी
हड़ताल और नारों को
अब कौन सुनेगा?

जन-कीटों पर गैस बरसाकर
और संगीनें तानकर
अकड़कर जीते हैं
कीड़ों के प्रतिनिधि !