हडि्डयों का पुल है
शिराओं की नदी है
इस सदी से भी अलग
कोई सदी है
आज की कविता
अंधेरे की व्यथा है
फूली है मटर लाल-लाल
पियराई सरसों के बीच से
उठे कुछ नए सवाल
हडि्डयों का पुल है
शिराओं की नदी है
इस सदी से भी अलग
कोई सदी है
आज की कविता
अंधेरे की व्यथा है
फूली है मटर लाल-लाल
पियराई सरसों के बीच से
उठे कुछ नए सवाल