रात भर पत्ते
जूतों तले दबते
चरमराते रहे
पागल हवा
बाल खोले चिल्लाती रही
कोई नहीं आया ।
सूरज ने आकर देखा
पगडंडियों पर
पत्तों के गोली बिंधे शव
बिछे पड़े थे ।
रात भर पत्ते
जूतों तले दबते
चरमराते रहे
पागल हवा
बाल खोले चिल्लाती रही
कोई नहीं आया ।
सूरज ने आकर देखा
पगडंडियों पर
पत्तों के गोली बिंधे शव
बिछे पड़े थे ।