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हथियार / सतीश कुमार सिंह

जंगल की घाटियों में विचरते
हिंस्त्र पशुओं के डुकरने की आवाज़ से
और हमले से बचने के लिए
सबसे पहले आया आदिम मनुष्य को
हथियार बनाने का ख्याल

पुरखे और देवता धामी
पूजे गए अस्त्र शस्त्रों के साथ
मूर्तियों से झांकती रहीं
उनकी भयानक मुद्राएँ

भय को मिला हथियार से साहस
लालच ने आक्रमण करना सिखाया
इसकी नोंक पर सभ्यताएँ
बनती और बिखरती रहीं

कमर में खोंसे
निश्चिंत हो सोते रहे
जंगल के बाशिन्दे, योद्धा
और सबसे ज़्यादा भयभीत राजा

कंधे पर टंगिया लटकाए
बेखौफ घूमते रहे किसान

राष्ट्र की अवधारणा के साथ
सीमाओं पर
बंदूक, रायफल, तोप, गोला-बारूद,
राॅकेट, टैंक से लैस सैन्य टुकड़ियाँ
हथियार पर युद्धाभ्यास करते
इधर सत्ता के गलियारों में
विचारों के हथियार चलते

समझ में नहीं आता
अब विचार एक हथियार है
या हथियार एक विचार