Last modified on 30 जून 2014, at 04:39

हथेली पर फूल / प्रेमशंकर शुक्ल

झील की हथेली पर
वह जो फूल खिला है
लगाना है उसे
एक सुनहरी चिड़िया के
जूड़े में
मुझे

वक़्त की झील में

वक्‍़त की झील में
हम पानी की
दो बूँद (हैं)

दो बूँदों की तरह
अलग-अलग

मिल कर
आवेग
लहर-दर-लहर !