हनुमत स्तुति (राग गौरी)
जय ताकिहै तमकि ताकी ओर को।
जाको है सब भांति भरोसो कपि केसरी-किसोरको।।
जन-रंजन अरिगन-गंजन मुख-भंजन खल बरजोरको।
बेद- पुरान-प्रगट पुरूषाराि सकल-सुभट -सिरमोर केा।।
उथपे-थपन, थपे उथपन पन, बिबुधबृंद बँदिछोर को।
जलधि लाँधि दहि लंे प्रबल बल दलन निसाचर घोर को।।
जाको बालबिनोद समुझि जिय डरत दिाकर भोरको।
जाकी चिबुक-चोट चूरन किय रद-मद कुलिस कठोरको।।
लोकपाल अनुकूल बिलोकिवो चहत बिलोचन-कोरको।
सदा अभय, जय, मुद-मंगलमय जो सेवक रनरोर को।।
भगत-कामतरू नाम राम परिपूरन चंद चकोरको।
तुलसी फल चारों करतल जस गावत गईबहोरको।।