बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
हमखों कर डारो बैरागी,
रजऊ की आसा लागी।
अपने जानें कभऊ नई भई
धूनी बरै न आगी।
इन हातन का दई दच्छिना
हमने भिच्छया माँगी।
फेरी देत रजऊ के लाने
ईसुर बस्ती त्यागी।
हमखों कर डारो बैरागी,
रजऊ की आसा लागी।
अपने जानें कभऊ नई भई
धूनी बरै न आगी।
इन हातन का दई दच्छिना
हमने भिच्छया माँगी।
फेरी देत रजऊ के लाने
ईसुर बस्ती त्यागी।