बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
हमखों बिसरत नई बिसारी,
हेरन हँसन तुमारी।
जुबन बिसाल चाल मतवारी,
पतरी कमर इकारी।
भांेय कमान बान से तानैं,
नजर तरीछी मारी।
‘ईसुर’ कात हमारे कोदै
तनक हेरलो प्यारी।
हमखों बिसरत नई बिसारी,
हेरन हँसन तुमारी।
जुबन बिसाल चाल मतवारी,
पतरी कमर इकारी।
भांेय कमान बान से तानैं,
नजर तरीछी मारी।
‘ईसुर’ कात हमारे कोदै
तनक हेरलो प्यारी।