हमने इश्क़ किया
और काम के आदमी बन गए
दुनिया के लिए
वर्ना...
(चचा ग़ालिब से मुआफ़ी चाहते हुए}
रचनाकाल : सितम्बर 1997
हमने इश्क़ किया
और काम के आदमी बन गए
दुनिया के लिए
वर्ना...
(चचा ग़ालिब से मुआफ़ी चाहते हुए}
रचनाकाल : सितम्बर 1997