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हमरा की? / भुवनेश्वर सिंह भुवन

जे देखै छिये, से कहै छियै,
केकर्हौ निक्कॅ लागतै, केकरहौ अदलाहा,
हमरा की?

जेठॅ-बैसाखॅ के सुरुज
आगिन बरसाबै छै,
जीबॅ केॅ मारै, धरती जारै छै,
लौगें ओकरा मुझौंसा,
ओकरा दैवॅ केॅ पपियाहा कहै छै,
तोयँ छॅठ परॅब मनाबॅ,
डुबते-उगतें सूप चढ़ाबॅ
कुन्ती पांडु की कर्ण दुर्योधन के,
हमरा की?

चनरमा केॅ चौर चन्ना के नारियल देखाबॅ,
अहिल्या के खिस्सा दोहराबॅ,
लोगें ओकरा पर झंडा गाड़लकै,
काल्ह जुत्ता पिन्हनै औकरा पर बुलतै,
नया-नया भेद खुलतै,
कोय चनरमा के पुजतै, कोय झंडा केॅ,
हमरा की?

सावन-भादॅ में गाँङे पानी के रथ दौड़ाबै छै,
फसील दहाबै, गाँव डुबाबै छै,
तोरॅ ऊ माय छिखौन-माय कुमाय नै हुअेॅ
शंकराचार्यॅ केॅ समझाबॅ, मंतर सिखाबॅ,
समूचा शहरॅ के मैला गाँङे में गिराबॅ
आरो गंगा जॅल बद्रीनाथ सें रामेश्वरम् तक चढ़ाबॅ
धरम तोरॅ हमरा की?

कोशियो माय्ये रहै, पुरैनियाँ दरभंगा के
मलेरिया सें मारै बाली गाय्ये रहै,
आव ओकरा छानी केॅ
लोगें दुहलकै,
दूध-अमृत,
टैचुन-लरमा के खम्हार,
कुबेरॅ के भंडार।

तोवँ पुसी पुरनिमा दिन
ओकरॅ मुरूत बनाबॅ,
लोगॅ सें पुजाबॅ,
घाट तोरॅ, हमरा छी?

गाछ-बिरिछ सूअॅर-गीदॅर सबकेॅ पूजॅ,
जे तोरॅ हीत, ओकरा आगनी में भूजॅ,
महात्मा गाँधी, किंगलूथर केॅ गोली मारॅ,
आपनॅ घरॅ जारॅ
तोरा के कहथौं?
लेकिन,
समयँ माफ नै करथौन,
बिचार तोरॅ, हमरा की?