जनम लेलियै हम्में अंग प्रदेश में,
गंगटा खुर्द गोड्डा अंग अंगिका देश में।
माय रोॅ अंगुरी पकड़ी चललियै,
यही गाँव घरोॅ में पललियै।
ऐनां ओनां ककहरा सिखलियै,
माय-माय, बाप-बाप कत्तेॅ बकलियै।
जनम सोगारथ होलोॅ कर्ण भूमि चंपा देश में,
वासू पूज्य, सरहपा, सिद्धोॅ-कान्होॅ, बिरसा केॅ पूजवै।
तिलका मांझी, महेन्द्र गोप, परशुरामोॅ केॅ गुण गैवै,
धन्य-धन्य जिनगी "संधि" अंगदेशोॅ लेली जीवै।
बूंद-बूंद, खून, पसीना सें अंगभूमि केॅ सजैवेॅ,
मरवोॅ जां करवै तेॅ रहवै यही देश में।
आवेॅ सब्भै अंगिका केॅ खोजै छै,
अंगिया आरो अंगा पीन्ही केॅ सजै छै।
अंगिका में आबेॅ पढ़ै लेली शोध करै छै,
एक एक शब्द केॅ खोज करै छै।
सुनोॅ "संधि" अंगिका आबेॅ छै रेस में।