Last modified on 10 मार्च 2009, at 23:40

हमसे जनि लागै तू माया / मलूकदास

हमसे जनि लागै तू माया।
थोरेसे फिर बहुत होयगी, सुनि पैहैं रघुराया॥१॥
अपनेमें है साहेब हमारा, अजहूँ चेतु दिवानी।
काहु जनके बस परि जैहो, भरत मरहुगी पानी॥२॥
तरह्वै चितै लाज करु जनकी, डारु हाथकी फाँसी।
जनतें तेरो जोर न लहिहै, रच्छपाल अबिनासी॥३॥
कहै मलूका चुप करु ठगनी, औगुन राउ दुराई।
जो जन उबरै रामनाम कहि, तातें कछु न बसाई॥४॥