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हमारे लिए / उपेन्द्र कुमार

सारे जोड़-घटाव
गुणा-भाग के बाद
जो बचता है शेष
वही होता है हासिल
अर्थात्
मिलेगा वही
जो बचा रहेगा
सब के बाद

पंगत के
उठ जाने के बाद
बही-खातों के समेट लिए जाने
के बाद
अख़बारों के
छप जाने के बाद
जब कर चुके होंगे
सब लोग हासिल
वो सब कुछ
जो बटोर सकते हैं
उनके हाथ
और मनाया जा रहा होगा जश्न
तब जो होगा शेष
वही होगा
हमारा हासिल
उसे हम गिनेंगे
बार-बार
और नहीं जान पाएँगे कभी
कि गिनने
और गिनकर सहेजने जैसा
कुछ भी तो नहीं था
वह
जो था
हमारा हासिल