Last modified on 11 अक्टूबर 2007, at 19:09

हमारो प्रणाम बांकेबिहारी को / मीराबाई

राग ललित

हमारो प्रणाम बांकेबिहारी को।
मोर मुकुट माथे तिलक बिराजे, कुंडल अलका कारी को॥

अधर मधुर पर बंसी बजावै रीझ रिझावै राधा प्यारी को।
यह छवि देख मगन भई मीरा, मोहन गिरधर -धारी को॥

शब्दार्थ :- अलका कारी =काली अलकें। रिझावै =प्रसन्न करते हैं।