अज्यूंतैं भी हम्हरि भाषा कनटपराण लगीं चा
बाछी सी बिगर ब्वे की जन रमाण लगीं चा।
हम्हरा सांसद संसद मा किलै बौं हौड प्वड्यांन
भग्यनु कनि निन्द प्वडीं च एसी मा फसोरि सियांन।
सड़सट साल ह्वे गेन अज्यूं भी निन्द नी खुली
गढ़वळि, कुमाउनी, जौनसरी दुध बोली किलै भूली।
संसद मा चैबीस भाषा क्य गुलछर्रा उड़ौंणी छन
नचणीं छन, नचाणी छन हॅंसणी छन हॅंसाणी छन।
कसम तुम मात्र भाषा की उठा अब कमर कस लयादी
सच्चा हम उत्तराखण्डी छां चन्द्रसिंह गढ़वळि बणि जांदी।