हम
आदमी नहीं,
लिबास में
आदमी हैं।
यह लिबास
‘सरकसी’ जानवरों का है
जो
हमें
अपनी नसल का
समझते हैं।
रचनाकाल: १९-०९-१९६९
हम
आदमी नहीं,
लिबास में
आदमी हैं।
यह लिबास
‘सरकसी’ जानवरों का है
जो
हमें
अपनी नसल का
समझते हैं।
रचनाकाल: १९-०९-१९६९