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हम खोज रहल बानी / ब्रजभूषण मिश्र

हम खोज रहल बानी
कविता !
भरल बा हमार पेट,
आ पेन्हले बानी हम
नयका कुरता
बइठल बानी नयका कोठी में।
बाकिर,
कविता त सुखाइल,
पेट-पीठ एक भइल
आदमी
जेकरा माथ पर
बजरत-ढहत आसमान बा,
गोरतर खरकटल जमीन बाटे,
के लगे बइठल बीआ।