मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हम त माँगली आजन बाजन, सिंघा<ref>एक प्रकार का सींग जैसा लम्बा और टेढ़ा बाजा, जो फूँककर बजाया जाता है और जिसकी आवाज दूर तक जाती है</ref> काहे लाया रे।
परिछन के बेरिया<ref>समय</ref> बनूक<ref>बन्दूक</ref> काहे लाया रे॥1॥
हम त मँगली हाथी घोड़ा, मोटर काहे लाया रे।
भोंपू भोंपू मोटर बोले, कान घबराया रे॥2॥
हम त रहली दुलहा परिछत, जियरा ललचाया रे।
घुर फुर कर गोला छोड़े, जियरा घबराया रे॥3॥
परिछन के बेरिया पिहतौल<ref>पिस्तौल</ref> काहे लाया रे।
लाजो न लागे समधी, नाम को हँसाया रे॥4॥
शब्दार्थ
<references/>