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हम देहाती मनई / प्रदीप शुक्ल

हम पर एतना ना खउख्याव
हम देहाती मनई
हमरे घाव तनिकु सोहराव
हम देहाती मनई

हम दुपहरि मा
खेतु निकाई
पैंतालिस है पारा
मुलुर मुलुर खिरकी ते तुम तो
झाँकि रहेव फव्वारा

मन मा स्वान्चौ सत्तरि दाँव
हम देहाती मनई

तोरई कै
बंउड़ी अस हमरी
रोजु गरीबी बाढ़ै
महँगाई सूरज के जईसन
हम पर आँखी काढ़ै

तुमतो बस बईठे मुसक्याव
हम देहाती मनई

कुईंया सूखीं
ताल सूखिगे
सूखे सबके दीदा
तुमका तो चुनाव का खाली
गणित लगै पेचीदा

हियाँ पियासा पूरा गाँव
हम देहाती मनई